मैं रूठा, तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन ? - The Spirit of Ghazals - लफ़्ज़ों का खेल | Urdu & Hindi Poetry, Shayari of Famous Poets
मैं रूठा, तुम भी रूठ गए 
फिर मनाएगा कौन ?
आज दरार है, कल खाई होगी 
फिर भरेगा कौन ?
मैं चुप, तुम भी चुप 
इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन ?
बात छोटी को लगा लोगे दिल से, 
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?
दुखी मैं भी और  तुम भी बिछड़कर, 
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ?
न मैं राजी, न तुम राजी, 
फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन ?
डूब जाएगा यादों में दिल कभी, 
तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ?
एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी, 
इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?
ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ?
फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन ?
मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें....
तो कल इस बात पर फिर
पछतायेगा कौन ?
.- #Dedicated ♡

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